Hindi, asked by korishiva55, 6 months ago

मन की मनही मारही
कहिए जाए कौन पे कमी, नाही परत कही।
अवधि अधार आस आवन को, सनम न विथा सही।
अब इन जोग संदेसानि सुनि-सुनि, विरहिनि विरह दही।
पारुति हुति गुहारि जितहि ते उत ते पार वही ।
सूरदास आय पीर परहि ग्यो, मरजाया न सही।
1. गोपियों ने पद की प्रथम पंक्ति में किस बात के विषय मे कहा है?
2 विरहिनि विरह दही के द्वारा गोपियों क्या कहना चाहती है?
3 अंतिम पपिट में गोपियों ने कीग सी गया की बात की है?​

Answers

Answered by yashag36
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Explanation:

1. गोपियां पद की प्रथम पंक्ति में अपने मन के विषय कह रही है।

2. विरहनी विरह दही के द्वारा यह कहना चाहते थी की योग संदेश उनके विरह की वेदना को बढ़ा रहे है।

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