मन के मते न चानिए , मन के मते अनेका जो मन पर असवार हैं, सो साधु कोई एका
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आदरणीय पाठक गण 'मन के मते न चलिए' यह उक्ति ज्ञानी संत कबीरदास की वाणी है। इसका तात्पर्य है कि मन के अनुसार मत चलो ! ... सामान्य शब्दों में मन मनुष्य के मस्तिष्क का वह प्रक्रिया है जो किसी विषय, वस्तु या घटना के संबंध में सोचने और समझने का कार्य करता है। दुसरे शब्दों में मनुष्य के विभिन्न अंगों की प्रक्रिया का नाम मन है।
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