Political Science, asked by nepalmeena670, 1 month ago

मनु के राज्य संबंधी विचारों की व्याख्या कीजिए।​

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Answered by krimipatel6126st
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मनु ने अपने राजनीतिक विचारों में न राज्य की उत्पत्ति के दैवीय सिद्धान्त का समर्थन किया है। उसके मतानुसार राज्य की उत्पत्ति समाज में सुशासन तथा व्यवस्था रखने के लिए हुई है। जिस समय कोई राजा नहीं था, उस समय चारों ओर भय और आतंक का साम्राज्य व्याप्त था। शक्तिशाली निर्बल लोगों के अधिकारों को हड़प लेते थे ।

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Answered by shishir303
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मनु के राज्य संबंधी विचारों की व्याख्या कीजिए।​

राजा या राज्यपद के विषय में मनु के विचार है कि राजा ही राज्य का संप्रभु होता है। राजा के बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। राज्य की सारी शक्ति राजा में ही निहित होती है। राजा राज्य की एकता अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक होता है। मनु के अनुसार राजा को प्रशासनिक क्षमता में दक्ष होना चाहिये। उसे अपने राज्य में अपने उत्तरदायित्व की अटूट निष्ठा होना चाहिए। राजा में अनेक तरह के नैतिक गुणों से युक्त होना चाहिए, ताकि वह अपनी प्रजा के लिए एक आदर्श बन सकें।

मनु स्मृति के अनुसार पृथ्वी पर राजा ही सर्वोपरि होता है। वह ईश्वर का प्रतिनिधि होता है। इस कारण वह ईश्वर के प्रति ही उत्तरदायी होता है। इस तरह राज्य एक दैवीय संस्था है।

मनु स्मृति में राज्य की अवधारणा के बारे में विस्तार से विवेचन किया गया है। मनु स्मृति में किसी राज्य की संप्रभुता, उसकी प्रकृति और उसके शासन का स्वरूप तथा राज्यसत्ता पर नियंत्रण की आवश्यकता, उसकी विधि, न्याय व दंड व्यवस्था, राज्य समाज व अन्य व्यक्तियों के साथ संबंध जैसे विषयों का क्रमबद्ध रूप से विधिवत विवेचन किया गया है। मनुस्मृति के अनुसार किसी राज्य में राजा ही प्रमुख होता है और वो ईश्वर के अवतार के समान होता है।

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मनुस्मृति में राज्य को माना है

(अ) दैवीय संस्था

(ब) समाजवादी संस्था

(स) लोकतांत्रिक व्यवस्था

(द) साम्यवादी व्यवस्था।

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