मन क्रम वचन नद-नदेन उर, सहदक करि सकी। जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, काळ-काळ जकी। सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों सुनी न करी। यह तै 'सूर' तिनहिं लै सौंपो, जिनके मन चकटरी। क. "हारिल की लकरी' किसे कहा गया है और क्यों? ख. 'तिनहिं ले सौंपौ' में किसकी और संकेत किया गया है? ग. गोपियों को योग कैसा लगता है? क्यों
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