२) मन की सफाई पर अपने विचार लिखिए।
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हम अपने दैनिक जीवन में यह देखते है की हमारे घरों, कार्यालयों तथा सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़कों, पार्कों इत्यादि में बाहरी वातावरण तथा अन्य कारणों से धूल-मिट्टी, कचरा व गंदगी इकट्ठा होती रहती है। इन स्थानों की हम स्वयं या हमारे सेवक तथा सार्वजनिक सफाई कर्मचारी समय-समय पर निरन्तर साफ-सफाई करते रहते है। इसी प्रकार हमारे शरीर पर भी बाहरी वातावरण तथा अन्य कारणों से धूल-मिट्टी व गंदगी लगती रहती है और हम दैनिक रुप से स्नान करके इसकी साफ-सफाई करते रहते है।
साफ-सफाई नहीं करने के परिणाम
यदि हम समय-समय पर स्वयं की तथा अपने आसपास की साफ-सफाई नहीं करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप एक तो हमारे आसपास बदबू फैलने लगती है और दूसरा गंदगी के कारण हमारे शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते है जिससे हमारा शरीर बीमारियों से ग्रसित होने लगता है।
मन पर भी बाहरी वातावरण का असर
व्यक्ति के मन पर भी बाहरी वातावरण तथा अन्य कारणों का काफी प्रभाव पडता है। वह अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के लोगों के संपर्क में आता रहता है। इसके अलावा वह सूचना के विभिन्न माध्यमों जैसे फिल्म, टीवी, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, इंटरनेट इत्यादि के भी निरन्तर संपर्क में आता रहता है। इनसे वह अच्छी तथा बुरी दोनों प्रकार की बातें देखता व सुनता रहता है और इसी के अनुसार उसके मन पर भी अच्छा या बुरा प्रभाव पडता रहता है।
मन की भी साफ-सफाई की आवश्यकता
बुरे प्रभाव के कारण व्यक्ति के मन पर बुरे विचारों व सोच की धूल-मिट्टी तथा गंदगी इकट्ठा होने लगती है। जिसके कारण उसके मन-मस्तिष्क में विकार उत्पन्न होने लगते है और परिणाम स्वरूप वह अनैतिक, आपराधिक तथा गलत कार्यों की और अग्रसर होने लगता है। अतः व्यक्ति को अन्य प्रकार की साफ-सफाई की तरह अपने मन-मस्तिष्क की भी समय-समय पर तथा निरन्तर साफ-सफाई करते रहना चाहिये जिससे उसमें जमें बुरे विचारों व सोच की धूल-मिट्टी व मैल को हटाया जा सके और उसके कारण मन में उत्पन्न होने विकारों को रोका जा सके ।
मन की साफ-सफाई कैसे करें
मन-मस्तिष्क की साफ-सफाई के लिए व्यक्ति को समय-समय पर तथा निरन्तर अच्छे विचारों की खुराक लेते रहना चाहिये। अच्छे विचार व्यक्ति के मन में जमें हुए बुरे विचारों व सोच रुपी धूल-मिट्टी व मैल की साबुन, सर्फ, पोंछे इत्यादि की तरह समय-समय पर साफ-सफाई करते रहते है। इसके अलावा व्यक्ति को अपने जीवन में आध्यात्म को भी अपनाना चाहिए। आध्यात्म ज्ञान का ऐसा प्रकाश है जो मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है तथा उसके मन-मस्तिष्क में जमें हुए नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाकर उसके अंतर्मन को सकारात्मक तथा अच्छे विचारों के प्रकाश से प्रकाशित कर देता है|
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शरीर और मन के काम का तौल बनाए रखें, यानी दोनों को बेमेल न होने दें। आप जो पानी पिएँ, जो खाना खाएँ और जिस हवा में साँस लें, वे सब बिल्कुल साफ होने चाहिए। आप सिर्फ अपनी निज की सफाई से सन्तोष न मानें, बल्कि हवा, पानी और खुराक की जितनी सफाई आप अपने लिये रखें, उतनी ही सफाई का शौक आप अपने आस-पास के वातावरण में भी फैलाएँ।