मन के उपस्थित विषय विकारों को किस प्रकार शुद्ध किया जा सकता है
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नमस्ते मित्र
प्रश्न :- मन में उपस्थित विषय विकारों को किस प्रकार शुद्ध किया जा सकता है ?
उत्तर:-
इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे मन में उपस्थित विचार किस प्रकार से अशुद्ध होते हैं।
वह कौन से ऐसे कार्य है जिससे हमारे मन के विचार अशुद्ध होते हैं। अगर हमें किसी भी बीमारी का कारण पता चल जाता है तो हम उसका इलाज आसानी से कर सकते हैं।
इसीलिए पहले हमें यह जानना चाहिए कि हमारे मन के विचार अशुद्ध कैसे होते हैं।
◆ हमारे मन में विचार उत्पन्न दो तरीके से होते हैं, देखने से और किसी बात को सुनने से।
क्योंकि अक्सर हम जो सुनते और देखते हैं उसी आधार पर अपने विचार व्यक्त करते हैं या उसी आधार पर हमारे मन में विचार आते हैं।
◆ अगर कोई व्यक्ति कोई गलत चीज देखता है तो उसके मन में उसी आधार पर गलत विचार आता है,
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गलत काम करके ज्यादा पैसा कमाता देखता है तो उसके मन में भी यह विचार आता है कि क्यों ना वह भी यह मार्ग अपना ले।
★★
अब प्रश्न उठता है कि हम अपने मन के विचार को शुद्ध कैसे रख सकते हैं।
◆ अच्छे लोगों की संगति करने पर हमें अच्छी बातें पता चलती है और हम सकारात्मक सोचते हैं।
◆ हमें बुद्धिमान व्यक्तियों से दोस्ती करनी चाहिए एवं मूर्ख एवं धूर्त व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना चाहिए।
◆ अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए जिसमें ज्ञान की बातें लिखी हो।
◆ हमें अच्छी चीजें भी देखनी चाहिए क्योंकि अक्सर टेलीविजन पर अच्छी और बुरी चीजें दोनों प्रसारित होती हैं निर्णय हमें लेना होता है अच्छी चीजें देखनी है या फिर बुरी चीजें।
अच्छी चीजें देखने से अच्छी बातें सीखने को मिलेगी और हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे और वही बुरी चीजें देखने से बुरे विचार ही आएंगे।
◆ हमें अपने विवेक से काम लेना चाहिए क्योंकि अक्सर हमें पता होता है कि क्या गलत है और क्या सही लेकिन हम उस वक्त ज्यादातर गलत रास्ता चुनते हैं क्योंकि उस वक्त हमें वह आसान प्रतीत होता है।
आशा है आपकी सहायता हुई हो
#jerri
प्रश्न :- मन में उपस्थित विषय विकारों को किस प्रकार शुद्ध किया जा सकता है ?
उत्तर:-
इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे मन में उपस्थित विचार किस प्रकार से अशुद्ध होते हैं।
वह कौन से ऐसे कार्य है जिससे हमारे मन के विचार अशुद्ध होते हैं। अगर हमें किसी भी बीमारी का कारण पता चल जाता है तो हम उसका इलाज आसानी से कर सकते हैं।
इसीलिए पहले हमें यह जानना चाहिए कि हमारे मन के विचार अशुद्ध कैसे होते हैं।
◆ हमारे मन में विचार उत्पन्न दो तरीके से होते हैं, देखने से और किसी बात को सुनने से।
क्योंकि अक्सर हम जो सुनते और देखते हैं उसी आधार पर अपने विचार व्यक्त करते हैं या उसी आधार पर हमारे मन में विचार आते हैं।
◆ अगर कोई व्यक्ति कोई गलत चीज देखता है तो उसके मन में उसी आधार पर गलत विचार आता है,
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गलत काम करके ज्यादा पैसा कमाता देखता है तो उसके मन में भी यह विचार आता है कि क्यों ना वह भी यह मार्ग अपना ले।
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अब प्रश्न उठता है कि हम अपने मन के विचार को शुद्ध कैसे रख सकते हैं।
◆ अच्छे लोगों की संगति करने पर हमें अच्छी बातें पता चलती है और हम सकारात्मक सोचते हैं।
◆ हमें बुद्धिमान व्यक्तियों से दोस्ती करनी चाहिए एवं मूर्ख एवं धूर्त व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना चाहिए।
◆ अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए जिसमें ज्ञान की बातें लिखी हो।
◆ हमें अच्छी चीजें भी देखनी चाहिए क्योंकि अक्सर टेलीविजन पर अच्छी और बुरी चीजें दोनों प्रसारित होती हैं निर्णय हमें लेना होता है अच्छी चीजें देखनी है या फिर बुरी चीजें।
अच्छी चीजें देखने से अच्छी बातें सीखने को मिलेगी और हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे और वही बुरी चीजें देखने से बुरे विचार ही आएंगे।
◆ हमें अपने विवेक से काम लेना चाहिए क्योंकि अक्सर हमें पता होता है कि क्या गलत है और क्या सही लेकिन हम उस वक्त ज्यादातर गलत रास्ता चुनते हैं क्योंकि उस वक्त हमें वह आसान प्रतीत होता है।
आशा है आपकी सहायता हुई हो
#jerri
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Róunak:
wow...just awesome
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thaajsiakwllwlsmsnsbzjzkz
iska.aoakamamaa
ajakaknanaiskwk
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