Hindi, asked by jayraj0143, 10 months ago

मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न ही ना हो, इसके लिए आप क्या करोगे?​

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Answered by aishwarypandey
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Answer:

सोचिए कि ईर्ष्या आपको कैसे हानि पहुंचाती है: ईर्ष्या ने कैसे आपके जीवन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है? शायद कोई लम्बा रिलेशन केवल इसलिए समाप्ति की कगार पर पहुँच गया, क्योंकि आप अपने मित्र के लिए प्रसन्नता का ढोंग भी नहीं कर पा रही हैं, इसलिए उसकी फोन काल्स से बच रही हैं। शायद आप अपने एक्स (Ex) का फेसबुक पेज पागलों की तरह देख कर उसकी और मंगेतर की तसवीरों को घूरती रहती हैं। शायद आपको अपनी मित्र के फोटोग्राफी ब्लॉग पढ़ने से घृणा है, क्योंकि आप चाहती हैं कि काश आपमें भी उसके जितनी कलात्मक क्षमता होती। यह सभी, इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे ईर्ष्या आपकी उस ऊर्जा को सोख लेती है जिसे कुछ सकारात्मक करने में व्यय किया जा सकता था। ईर्ष्या आपको निम्नलिखित तरीकों से हानि पहुंचा सकती है: [२]

   आपके समय का अपव्यय

   आपके विचारों का क्षरण

   आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक सम्बन्धों का विनाश

   आपके व्यक्तित्व को उलझाना

   नकारात्मकता उत्पन्न करना

ईर्ष्या के कारणों को पहचानिए: इससे पहले कि आप अपनी नकारात्मकता को रचनात्मक रूप से सुलझा पाएँ, आपको यह जानना होगा कि उसका कारण क्या है। यदि आपको अपने मित्र की नई स्पोर्ट्स कार से ईर्ष्या हो रही है, तो कुछ समय निकाल कर उन कारणों की पड़ताल करिए जिनसे आपको ईर्ष्या होनी शुरू हुई है। ईर्ष्या से निबटने से पहले, स्वयं से प्रश्न पूछ कर ईर्ष्या के कारणों को पहचानिए।[३]

   उदाहरण के लिए, क्या आप इसलिए ईर्ष्यालु हैं क्योंकि आप वैसी ही कार चाहते हैं जैसी कि उसके पास है? या आप इसलिए ईर्ष्यालु हैं क्योंकि उसकी क्षमता इतनी महंगी चीज़ खरीदने की है?

अपनी ईर्ष्यालु भावनाओं के संबंध में किसी मित्र से बातें करने का विचार करिए: किसी सहयोग करने वाले मित्र अथवा संबंधी को यह बताने से कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, आपको अच्छा लगेगा और आपको अपनी भावनाओं के प्रदर्शन में भी सहायता मिलेगी। किसी ऐसे व्यक्ति को चुनिये जो उस व्यक्ति से कम जुड़ा हुआ हो, जिससे आप ईर्ष्या कर रहे हैं। साथ ही, ऐसे व्यक्ति का चयन सुनिश्चित करिए जो आपका समर्थन करता हो और जो आपकी बात सुन सके। किसी ऐसे व्यक्ति का चयन, जो आपकी भावनाओं का निरादर करे और आपको ठीक से समर्थन भी न दे आपको और भी बुरी स्थिति में डाल देगा।

यदि आप अपनी ईर्ष्या से स्वयं पार नहीं पा सकते हों तो किसी चिकित्सक की मदद लीजिये: कुछ लोगों के लिए तो ईर्ष्या उनके दैनिक जीवन और प्रसन्नता में भी हस्तक्षेप करने लगती है। बिना किसी सहायता के, अपनी ईर्ष्या को समझ पाना और उन भावनाओं से निबटने की सर्वश्रेष्ठ विधियों को जान पाना कठिन होता है। एक प्रोफेशनल मनो-चिकित्सक आपको उन भावनाओं को समझने में और उनसे पार पाने में आपकी सहायता कर सकता है।

Explanation:

Answered by chitransh445
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Answer:

मन में ईर्ष्या भाव उत्पन्न ही न हो इसके लिए हमारा मन किसी विशेष लक्ष्य से पूर्ण होना चाहिए जिसमें किसी और क्षेत्र के बारे में सोचना या चर्चा करने के लिए फिजूल समय ही ना हो। ऐसी स्थिति में हमारा मन केवल हमारे लक्ष्य पर केंद्रित रहता है

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