मन महुँ सुमिरन कीजिए, हिरदय मांहि छिपाय।
होंठ होंठ सु ना हिलै, सकै नहिं कोइ पाय।। 13
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मन महुँ सुमिरन कीजिए, हिरदय मांहि छिपाय।
होंठ होंठ सु ना हिलै, सकै नहिं कोइ पाय।। 13
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जो तिल माही तेल है जो ओपन ओपन में भारत तेरा साईं तुझ में जागी सके तो जाग
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