Hindi, asked by shs0919192madhvi, 5 hours ago

"मनु नहीं, मनु पुत्र है यह सामने जिसकी

कल्पना की जीभ में भी धार होती है;

बाण ही होते विचारों के नहीं केवल, स्वप्न के हाथ में तलवार होती है। ' उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि रामधारी सिंह दिनकर ने किस प्रकार चाँद को निरुत्तर कर दिया अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।

(उत्तर सीमा लगभग 110-120 शब्द)​

Answers

Answered by kmalkeet605
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Explanation:

did you know what you think about it is not going to be a great day of school tomorrow and I have a great day of school and I have a great day of

Answered by yewalevishal034
6

Answer:

मानव है मनु-पुत्र। उस में असीम शक्ति है। उसकी कल्पना धारवाली होती है। इसमें विचारों के बाण ही नहीं, हाथों में सपनों के तीक्ष्ण तलवार भी रहती है।आर्थात, मानव के सपने और विचार में असीम शक्ति होती है।

iii) कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखिए।

उत्तर:

प्रस्तुत कवितांश ‘चाँद और कवि’ कविता से अवतरित है। इसके कवि हैं सुप्रसिद्ध देशभक्त कवि रामधारी सिंह दिनकर। ‘चाँद और कवि’ दिनकरजी का प्रगतिशील कविता है।

कवितांश की भाषा सरल है। पंक्तियाँ प्रतीकात्मक और बिम्ब-प्रधान हैं। कवितांश का भाव स्पष्ट करने में कवि सफल हो गए हैं। कवि ने यहाँ मानव की क्रियात्मक प्रतिभाशक्ति को महत्व दिया है।

कवितांश मनुपुत्र मानव की अपार शक्ति से चाँद को परिचित कराती है। मानव के मन, वचन और कर्म की अपार समन्वयशक्ति की घोषणा करके चाँद को ललकारती है कि मानव अपनी मननशक्ति के सहारे रूढ़ियों पर विजय प्राप्त करता आ रहा है। जिस को स्वप्नजीव कहकर परिहास करते हो, उसे रोकने की क्षमता किसी में नहीं है।

Explanation:

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