मन से निर्मल रहता झरना से कवि का क्या आशय है
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जीवन गतिशील है नदियों की धारा की तरह जो कभी थमता नहीं है। ... इसलिए कवि ने जीवन को निर्झर कहा है। सुख और दुःख के तीर को झेलते हुए हर मनुष्य जीवन में आगे बढ़ता है। सुख कभी टिकता नहीं और दुख कभी भी रूकता नहीं।
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