मनोस्थिति का शुद्ध रूप।
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मनःस्थिति
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मनोस्थिति का शुद्ध रूप। है मन : स्थिति ।
- जब भी हिंदी साहित्य में लेखन किया जाता है। हमें वाक्यों की रचना पर ध्यान देना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वाक्यों में व्याकरण संबंधी गलतियां न हो।
- जब वाक्यों में व्यजरण संबंधित , लिंग या वचन संबंधित गलतियां होती है तो वाक्य को अशुद्घ रूप में माना जाता है। उस प्रकार की अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
- वाक्य में काल भी सही हिना चाहिए अन्यथा वाक्य का अर्थ ही बदल जाता है।
- वाक्य में स्त्रीलिंग व पुल्लिंग के लिए क्रिया अथवा सहायक क्रिया भी यदि प्रकार से प्रयुक्त की जानी चाहिए । उदाहरण के लिए : रमेश बाजार गई। अब इस वाक्य में रमेश लड़का है अर्थात पुल्लिंग है। हमें रमेश के साथ क्रिया भी पुल्लिंग में प्रयोग करनी चाहिए। अतः वाक्य का शुद्ध रूप होगा : रमेश बाजार गया।
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