Hindi, asked by rohanjaiswal0506, 1 year ago

मन समर्पित, तन समर्पित,
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!

माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,
थाल में लाऊं सजा कर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण!

जान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण कण समर्पित,
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!

मांझ दो तलवार को, लाओ न देरी,
बाँध दो कस कर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मॉल दो चरण की धुल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया घनेरी|

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित, 
आयु का क्षण क्षण समर्पित,
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ!

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Answers

Answered by simranchandel
12

kavi dhati maa ka rit chukan chahta h .......

kavi ko apni jaan pran ur rakht ka 1 1 kad dhati maa ko dena chahta h ..........

kavi apne desh ki dharti ko kuch jyada dene ko sach rha h

Answered by dgmellekettil
1

Answer

दिए गए प्रश्नों के उत्तर कुछ इस प्रकार हैं:

Explanation

प्रश्न (क)  तन मन और जीवन समर्पित करने पर भी कवि के मन में कुछ और भी देने की इच्छा है ?

उत्तर - तन मन और जीवन समर्पित करने के बावजूद कवि संतुष्ट नहीं है ,और वह अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहता है,अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए।

प्रश्न (ख) मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए कवि क्या उपाय सुझाता है ?

प्रश्न (ख) मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए कवि क्या उपाय सुझाता है ?उत्तर - मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए कवि अपना सर्वस्व निछावर करना चाहते हैं । वे अपने आपको मातृभूमि के सामने निर्धन समझते हैं ,वह चाहते हैं कि मैं कुछऔर दूं। कवि माया मोह के बंधनों को तोड़ देना चाहते हैं ,और अपना मस्तक इस देश को समर्पित करना चाहते हैं ,देश रक्षा के लिए । मातृभूमि की रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने को तैयार है मातृभूमि के लिए अपना जीवन अपने प्राण रक्त का एक-एक बूंद, अपने जीवन का स्वप्न ,अपने जीवन में मन में उठने वाले प्रश्न ,अपनी आयु का एक-ुएक क्षण ,पेड़ -पौधे फूल-पत्ते और अपने निवास स्थान का एक-एक तृण। भी अर्पित करने को तैयार है।

प्रश्न( ग) -आशय स्पष्ट कीजिए?"चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं।"।

उत्तर - इस पंक्ति के माध्यम से कवि का तात्पर्य है , कि हम इस मातृभूमि के ऋणी हैं। कवि स्वयं को मातृभूमि के ऋण से दवा हुआ मानते हैं, परंतु मातृभूमि के सामने अपने आप को निर्धन मानते हैं और निर्धनता के कारण मातृभूमि का ऋण चुकाने में असफल है । इसलिए अपनी मातृभूमि को अपना मस्तक अर्पित करने को तैयार हैं। अपने जीवन की सबसे अमूल्य भेंट खुशी से मातृभूमि को देना चाहते हैं।

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