Hindi, asked by nostacovspitar, 1 year ago

मन समर्पित, तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी हूँ !
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन -
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण !
गान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हैं देश की धरती, तुझे कुछ और भी हूँ !
माँज दो तलवार को, कुछ हो न देरी,
बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी,
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी ।।
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी हूँ !


1. तन-मन और जीवन समर्पित करने पर भी कवि के मन में कुछ और भी देने की ichcha क्यों है ?

2. मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए कवि क्या उपाय सुझाता है ?

3. आशय स्पष्ट कीजिए :
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें !”

Answers

Answered by adityase143
10

taan maan aur jeevan samarpit karne par bhi kavi ke maan me kuch aur dene ki ichcha iss liye h kyuki vo aapni matribhoomi apne desh ke liye kuch kar guzarna chate the.


nostacovspitar: second and thirds answers?
adityase143: sorry by mistake I had left the other questions
Answered by sherissguants929
3

Are you able to translate that to English?


nostacovspitar: This is one of the questions from X CBSE 2019 Hindi - B Board Paper. I NEED the answers to be in Hindi!
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