Hindi, asked by 02prathemesh, 1 month ago

मन समवपणत , तन समवपणत

और यह जीवन समवपणत

चाहता हूाँदेश की िरती , तुझे कुछ और भी दाँू

मां तुम्हारा ऋर् बहुत है , मैंअककंचन ,

ककन्तुइतना कर रहा , किर भी ननवेदन –

थाल में लाऊं सजाकर भाल जब ,

कर दया स्वीकार लेना वह समपणर् .

गान अवपणत ,प्रार् अवपणत

चाहता हूाँदेश की िरती तझु े कुछ और भी दंू.

मांज दो तलवार को ,लाओ न देरी

बााँि दो कसकर कमर पर ढाल मेरी

भाल पर मल दो , चरर् की िूल थोड़ी ,

शीष पर आशीष की छाया घनेरी

स्वप्न अवपणत , प्रश्न अवपणत

आयुका क्षर् – क्षर् समवपणत

(क) काव्यांश में मााँ ककसे कहा कहा गया है ?

i. कवव की मां

ii. दगु ाण की मां

iii. सबकी अपनी मां

iv. िरती मां

(ख) कवव मस्तक और कमर पर क्या लगाना चाहता है ?

i. स्वप्न और प्रश्न

ii. गान और प्रार्

iii. चरर् की िूल और ढाल

iv. तलवार और थाल

(ख) कवव ककस ऋर् की बात कर रहा है ?

i. बमलदान का ऋर्

ii. आयुऔर मन का ऋर्

iii. देश की िरती में जन्म एवं ववकास का ऋर्

iv. चरर् और कमर का ऋर्

(घ) कवव का ननवेदन है कक –

i. स्वप्न और प्रश्न को स्वीकार करें.

ii. मां मेरे बमलदान को स्वीकार करें .

iii. ऋर् को स्वीकार करें .

iv. थाल को स्वीकार करें .​

Answers

Answered by ayushgupta21082008
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Answer:

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