मनुष्य भाग्य को कैसे वश में कर सकता है?(Class:6
Subjec:Hindi
Chapter: साती हाथ बढाना)
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चतुराई से( ) लड़ाई से ( ) आप मे मिलकर ( ) अकेले चलकर ( )
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Explanation:
मनुष्य भाग्य के वश में नहीं है, उसका निर्माता मनुष्य स्वयं है। परमात्मा के न्याय में अभेद देखें तो यही बात पुष्ट होती है कि भाग्य स्वयं हमारे द्वारा अपने को संपन्न करता है उसका स्वतंत्र अस्तित्व कुछ भी नहीं है। वास्तव में हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि कर्म-फल ऊर्जा की तरह किसी भी दशा में नष्ट नहीं होता।
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