मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। दुख का अधिकार पाठ पर स्पष्ट कीजिए।
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता, क्योंकि अकेला रहना एक बहुत बड़ी साधना है। जो लोग समाज या परिवार में रहते हैं वे इसलिए रहते हैं कि उन्हें एक दूसरे की सहायता की आवश्यकता होती है। परिवार का अर्थ ही है माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन का समूह। इन्हींसे परिवार बनता है और कई परिवारों के मेल से समाज बनता है।
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