मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है |’वाक्य में ‘मनुष्य’ है- *
वर्ण
शब्द
पद
इनमें से कोई नहीं
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यह कथन महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू का है। अरस्तू प्लेटो के शिष्य थे एवं सिकंदर के गुरु थे। उनका यह कहना था की अन्य सभी जीवों की तरह इंसान भी एक सामाजिक प्राणी है। ... समाज के बिना इंसान कुछ नहीं है क्योंकि इंसान को जीने के लिए एवं आगे बढ़ने के लिए जो कुछ भी चाहिए वह हमें इसी समाज से मिलता है।
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