मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। बचपन से ही मनुष्य
को एक दूसरे के साथ मिलने, बैठन और बातचीत की इच्छा उत्पन्न हो जाती है। इसी
को संगति कहा जाता है। बचपन में बालक अबोध होता है। उसे अच्छे बुरे की पहचान
नहीं होती है। जब वह एक-दूसरे के संपर्क में आता है तब उसके मन की कोरी स्लेट
पर दूसरों का प्रभाव अंकित होता है। वह दूसरों की संगति में उनके कार्यों का अनुसरण
करता है। यदि वह अच्छी संगति में रहता है तो उस पर अच्छे संस्कार होते हैं और
यदि उसकी संगत बुरी है तो उसकी आदतें बुरी हो जाती हैं।
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उत्तरः1) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
2) बचपन से ही मनुष्य को एक दूसरे के साथ मिलने बैठने और बातचीत की इच्छा उत्पन्न हो जाती है
3) बचपन में बालों का बोध होता है उसे अच्छे बुरे की पहचान नहीं होती है
4) बचपन से ही मनुष्य को एक दूसरे के साथ मिलने बैठने और बातचीत की इच्छा उत्पन्न हो जाती है इसी को संगति खा जाता है
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