Hindi, asked by kiran1609, 11 months ago

‘‘मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है ।'' विषय पर दो मित्रों के बीच लगभग 100 शब्दों में संवाद
लिखिए ।

Answers

Answered by guptahemank
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Answer:

हम सब मनुष्य शब्द को समझते हैं। यह एक परिचित शब्द है जिसे आमतौर पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या हम वास्तव में जानते हैं कि कैसे मनुष्य या मानव प्रजातियां अस्तित्व में आईं और कैसे यह बीतने के साथ विकसित हुई? जैसा कि आज हम देखते हैं मनुष्य उस विकास का नतीजा है जो बीते लाखों वर्षों में हुआ है।

मनुष्य को पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी कहा जाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं इसने जीवन को आरामदायक और मूल्यवान बनाने के लिए इतनी सारी चीजों का अविष्कार किया है। यहां हमने मनुष्य पर अलग-अलग लंबाई के निबंध उपलब्ध करवाएं हैं और आप अपनी ज़रूरत और रुचि के अनुसार किसी भी मनुष्य पर निबंध को चुन सकते हैं:

मनुष्य भगवान की सबसे अद्भुत रचना है। ईश्वर ने मनुष्य को सोच और तर्क की शक्ति से सुसज्जित किया और यही कारण है कि वह अन्य जीवों से इतना अलग है। मनुष्य का पृथ्वी पर सिर्फ अस्तित्व ही नहीं है बल्कि यहाँ उपलब्ध विभिन्न संसाधनों का उपयोग करके वह अपनी पूर्णता में भी रहता है।

मानव प्रजातियां बंदरों और वानर से विकसित हुई हैं। प्राचीन युग के बाद से मनुष्य का विकास बहुत तेज़ी से हुआ है। उस समय के मानव की विशाल कद-काठी होती थी, वह कच्चा भोजन खाता था, गुफाओं में रहता था और पत्तियों और जानवरों की त्वचा से बने थोड़े से कपड़े पहनता था। आग का अविष्कार करने के बाद वह खाने से पहले जानवरों के मांस और सब्जियों को आग से पका कर खाने लगा। समय गुज़रने के साथ कई आविष्कार हुए। मनुष्य ने गुफाओं से बाहर आकर रहने के लिए घर बनाए। जल्द ही गांवों का गठन हुआ और फिर धीरे-धीरे कस्बें और शहर अस्तित्व में आये। परिवहन के साधन भी विकसित हुए और उन्होंने अन्य कई चीजों की भी खोज़ की। तो मूल रूप से मनुष्य के विकास के साथ कई चीजों का आविष्कार हुआ और वे भी समय गुजरने के साथ विकसित हुए।

आज मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति कर चुका है। उन्होंने अपनी जिंदगी आरामदायक और मनोरंजक बनाने के लिए कई चीजों का आविष्कार किया है। हालांकि मनुष्य अविष्कार करने में इतना मग्न हो गया है कि उसने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ दिया है। वातावरण जो पहले ताजा और शुद्ध था अब प्रदूषित हो गया है। इससे वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने का ख़तरा उत्पन्न हो गया है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों को भी जन्म दिया है।

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