मनुष्य ईश्वर को कहां-कहां ढूंढता फिरता है?
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in temple.in mosque.in church..
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‘साखियां एवं सबद’ के रचयिता संत कबीर हैं। ‘साखियों’ में संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी आस्था के भावों को प्रकट करते हुए माना है कि हृदय रूपी का मानसरोवर भक्ति जल से पूरी तरह भरा हुआ है जिसमें हंस रूपी आत्माएं मुक्ति रूपी मोती चुनती है। ‘ सबद’ में संत कबीर निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी निष्ठा भाव को प्रकट करते हुए कहते हैं कि ईश्वर को मनुष्य अपने अज्ञान के कारण इधर-उधर ढूंढने का प्रयास करता है । वह नहीं जानता कि उसके अपने भीतर ही छिपा हुआ है।
उत्तर : -
मनुष्य ईश्वर को प्राप्त करने के लिए उसे मंदिर मस्जिद में ढूंढता है। वह उसे काबा में ढूंढता है ,कैलाश पर्वत पर ढूंढता है, वह उसे क्रिया कर्म में ढूंढता है, योग साधनाओं में पाना चाहता है। वह उसे वैराग्य मार्ग पर चलकर पाना चाहता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।.............................