मनुष्य को आत्मज्ञानी क्यों बनना चाहिए?
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आत्मज्ञान की परमावस्था मनुष्य को यही दीक्षा देती है कि खुली आंखों से यह जगत और इसके विभिन्न विषय कितने ही सुंदर व मोहक क्यों न लगें, परंतु वास्तव में यह सब कुछ एक आनंद-स्वप्न के अतिरिक्त कुछ नहीं। इसीलिए जग की विषयासक्ति से पूर्ण मुक्ति के उपाय पर ध्यान और ज्ञान लगाना जाग्रत व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।
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