मनुष्य के भाग्य की रूपरेखा कैसे बनती है ?
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मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है। लेकिन जब तक निर्माता जैसा निर्माण करेगा उसी प्रकार उसका फल पायेगा। इसी प्रकार मनुष्य अपने जीवन मे कर्मो के द्वारा अपना भाग्य लिखता है अच्छे कर्मों से अच्छा और बुरे से बुरा। बुरे कर्मो वाला व्यक्ति भाग्यहीन होकर जी रहा है।
hope this helps u..
Please brainliest my ans if they are helpful to you
hv a nice day
Stay home stay safe...
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Re. Al. LL LL yy yy Yy Yy Yy
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