मनुष्य के भीतर विराजमान आंतरिक कौन सा है
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Explanation:
प्रत्येक मनुष्य के अंदर 3 प्रकार के गुण होते हैं सतो गुण, रजो गुण एवं तमो गुण जिस मनुष्य के अंदर सतो गुण की प्रधानता होती है। वह सात्विक विचारों का होता है। जिस मनुष्य के अंदर रजो गुण होता है वह विलासी प्रवृत्ति का होता है एवं जिस मनुष्य के अंदर तमो गुण की प्रधानता होती है वह तामसी विचार का होता है।
उक्त बातें संगीतमय श्रीराम कथा के 9 दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन बोलते हुये परम पूज्यनीय संत श्रीराम दयाल बापू ने स्थानीय नेहरु इंटर कालेज पर कही। उन्होंने आगे कहा कि संत ओ होता है वह उपरोक्त तीनों गुणों से परे होता है। जिस मनुष्य का हृदय ज्ञान, भक्ति, वैराग्य से वंचित हो जाये तो वह मनुष्य इस धरती पर ही है। वह मनुष्य कहलाने के योग्य नहीं हे। किन्तु जिस मनुष्य के अंदर ज्ञान हो, भक्ति हो एवं वैराग्य हो वास्तव में भगवान का वही भक्त है। भक्ति यात्रा में प्रथम व्यवधान परिवार के तरफ से आता है फिर दूसरा व्यवधान समाज का आता है परन्तु जब कोई मनुष्य पूरी निष्ठा से शक्ति मार्ग पर आगे बढ़ता है तो सारी बाधाएं स्वत: हटती चली जाती है। जिससे भगवान से प्रेम किया उसी का जीवन सफल माना जाता है। जिसने जीवन में भगवान से प्रेम नहीं किया भक्ति नहीं किया उसका पूरा मानव जीवन व्यर्थ है। डा.अभिमन्यु सिंह, भगवान दास गुप्त, कमता सिंह, अरविन्द शर्मा, प्रेम कुमार गोड़, अजय कुमार, केदार सिंह आदि थे।