Hindi, asked by sureshk87317, 1 month ago

मनुष्य को चाहिए कि संतुलित रहकर अति के मार्गों को त्यागकर मध्यम मार्ग को अपनाए| अपने सामर्थ्य को पहचानकर उसकी सीमाओं के अन्दर जीवन बिताना एक कठिन कला है| सामान्य मनुष्य अपने अहं के वशीभूत होकर अपना मूल्यांकन अधिक कर बैठता है और इसी के फलस्वरूप वह उन कार्यों में हाथ लगा देता है जो उसकी शक्ति में नहीं है| इसलिए सामर्थ्य से अधिक व्यय करने वालों के लिए कहा जाता है कि ‘तेते पाँव पसारिए जेती लांबी सौर’| उन्हीं के लिए यह कहा गया है कि अपने सामर्थ्य को विचार कर उसके अनुरूप कार्य करना और व्यर्थ के दिखावे में स्वयं को न भुला देना एक कठिन साधना तो अवश्य है पर सबके लिए यही मार्ग अनुकरणीय है|


Question 1 गद्यशं का उचित शीर्षक लिखो?​

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Answered by adityadebnat781
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Explanation:

मनुष्य को चाहिए कि संतुलित रहकर अति के मार्गों को त्यागकर मध्यम मार्ग को अपनाए| अपने सामर्थ्य को पहचानकर उसकी सीमाओं के अन्दर जीवन बिताना एक कठिन कला है| सामान्य मनुष्य अपने अहं के वशीभूत होकर अपना मूल्यांकन अधिक कर बैठता है और इसी के फलस्वरूप वह उन कार्यों में हाथ लगा देता है जो उसकी शक्ति में नहीं है| इसलिए सामर्थ्य

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