मनुष्य का जीवन बहुत सघर्षमय होता है. उसेपग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
फिर भी ईश्वर के द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान की ननर्मषनत इस पथ्ृवी पर हुई हैमानो धरती का रूप ही
बदल गया है. यह संसार कमषकरनेवालेमनुष्यों केआधार पर ही ठिका हुआ है. देवता भी उनसेईष्याष
करतेहैं. मनुष्य अपनेकमषबल के कारण श्रेष्ि है. धन्य है, मनुष्य का जीवन |
1) मनुष्य क्यों श्रेष्ि है
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मनुष्य के पास जितना विवेक है, अन्य प्राणियों के पास नहीं है। इस दृष्टि से वह विशिष्ट है। मनुष्य का आचरण जितना उन्नत हो सकता है, अन्य प्राणियों में वैसी संभावना नहीं है। इस दृष्टि से वह पूर्णता के शिखर पर पहुंच सकता है।
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मनुष्य का जीवन बहुत सघर्षमय होता है. उसेपग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
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