मनुष्य का जीवन भर संघर्ष में होता है उसे पग पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है फिर भी ईश्वर द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान इस पृथ्वी पर हुआ है मानव धरती का रुप ही बदल गया यह संसार कर्म करने वाले मनुष्य के आधार पर टिका हुआ देवता भी उसी से करते हैं मनुष्य का जीवन कर्म के कारण श्रेष्ठ धन्य है मनुष्य का जीवन क्या है
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संघर्ष ही जीवन है। कर्म ही प्रधान है।
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