मनुष्य का जीवन कब निरर्थक और निष्फल हो जाता है?
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➲ मनुष्य का जीवन तब निरर्थक और निष्फल हो जाता है, जब वह विद्याहीन रह जाता है। विद्याहीन अर्थात अशिक्षित मनुष्य ना तो ढंग से जीवन यापन कर पाता है और ना ही अपने लिए पर्याप्त रूप से धनार्जन कर पाता है, क्योंकि वह विद्याहीन होने के कारण जीवन को सही ढंग से जीने की कला को नहीं समझ पाता। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है कि वह विद्यार्जन करें, शिक्षित बने। तब ही उसका जीवन सफल एवं सार्थक होगा।
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