मनुष्य को किसका घमंड भूलकर भी नहीं करना चाहिए?
1. धन-दौलत
॥. पढ़ाई
III. शक्ति
IV. गरीबी
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सही उत्तर है,
1. धन-दौलत
व्याख्या :
मनुष्य को धन दौलत का घमंड भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ‘मनुष्यता’ कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं कि मनुष्य को कभी भी अपने धन-संपत्ति पर गर्व नहीं करना चाहिए। धन-संपत्ति आनी जानी है। जब तक मनुष्य पर परमपिता परमेश्वर का साथ है तब तक मनुष्य भाग्यहीन और अनाथ नहीं रह सकता। इसलिए धन संपत्ति पर घमंड ना करके परोपकार के कार्य करना चाहिए। परोपकारी व्यक्ति का सम्मान देवता भी करते हैं।
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मनुष्य को धन - दौलत का घमंड भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- वैसे तो इंसान को न शक्ति का तथा न ही अपनी विद्या पर घमंड करना चाहिए क्योंकि इस संसार में कोई भी चीज स्थाई नहीं है, आज आप शक्तिशाली होने उम्र ढलने पर वह शक्ति नहीं रहती।
- मैथिलीरण गुप्त जी ने अपनी कविता " मनुष्यता " में कहा है कि मनुष्य को अपनी धन दौलत पर भूलकर भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि धन दौलत तो हाथो का मैल है आज है कल नहीं। संपत्ति व धन का घमंड इंसान को इंसान नहीं रहने देता। घमंड में इंसान मानवता भूल जाता है ऐसा पैसा किस काम का?
- पैसा आज के समय में बहुत जरूरी है परन्तु इंसान को सदा नम्र रहना चाहिए व ईश्वर की रजा में राजी रहना चाहिए।
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