मनुष्य के मनोरथ कबे पूर्ण होते हैं?
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manorath
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uski mrityu ke baad uski sab manorath puri ho jati h
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सच्चे मन से ईश्वर का स्मरण करने से, उसका ध्यान करने से, निःस्वार्थ भाव से उसकी भक्ति करने से व्यक्ति के सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।
इसके साथ ही दुखियों की सेवा करने से, असहायों की मदद करने से, निर्बलों पर दया करने से, परोपकार करने से, सदैव दूसरों का हित सोचने से, अपने स्वार्थ का परित्याग करके परमार्थ हेतु अपने जीवन समर्पित करने से, अहिंसा न करने से, जीवो पर दया करने से, सत्य का पालन करने, सदाचार के मार्ग से पर चलने से, अपने बड़ों और गुरुजनों का सम्मान करने से तथा सबके प्रति सदैव प्रेमभाव रखने वाले व्यक्ति के सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।
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