मनुष्य का िीिन कमाप्रिान है। मनुष्र् को ननष्काम भाि सेसफिता-असफिता की धचंता ककए बबना अपनेकताव्र् का पािन करना चादहए। आशा र्ा ननराशा
केचक्र मेंफं सेबबना उसेिगातार कताव्र्ननष्ठ रहना है। ककसी भी कताव्र् की प णता ा पर सफिता अथिा असफिता प्राप्त होती है। असफल व्र्जक्त ननराश हो िाता
है। ककन्तुमनीवषर्ों नेअसफिता को भी सफिता की कंुिी कहा है। असफल व्यल्क्त अनुभि की संपजत्त अजिात करता है, िो उसकेभािी िीिन का ननमााण करती
है। िीिन मेंअनेक बार ऐसा होता हैकक हम जिस उद्देश्र् की प्राजप्त केलिए पररश्रम करतेहैं, ि प रा नहींहोता। ऐसे अिसर पर सारा पररश्रम व्यथथ ो गया-सा
लगता ैऔर हम ननराश होकर चुपचाप बैठ िातेहैं। उद्देश्र् की प नताकेलिए पुनः प्रयत्न नहींकरते। ऐसेव्र्जक्त का िीिन िीरे-िीरेबोझ बन िाता है। ननराशा का
अंिकार न के िि उसकी कमा-शजक्त, बजल्क उसकेसमस्त िीिन को ही ढक िेता है। मनुष्य िीिन धारण करकेकमथ-पथ सेकभी विचलित नहींहोना चादहए। विघ्न-
बािाओंकी, सफिता-असफिता की तथा हानन-िाभ की धचंता ककए बबना कताव्र् केमागापर चितेरहनेमेंिो आनंि एिंउत्साह है, उसमेंही िीिन की साथाकता है।
1) मनुष्र् को ककस भाि सेसफिता-असफिता की धचंता ककए बबना अपनेकताव्र् का पािन करना चादहए?
क) िोभ केभाि से ख) ननष्काम भाि से ग) सफिता की प नता घ) इनमेंसेकोई नहीं।
2) मनुष्य का िीिन कै सा है?
क) कमाप्रिान ख) कमारह त ग) िोनों ही घ) इनमेंसेकोई नहीं।
3) असफल व्र्जक्त ककस प्रकार की संपजत्त अजिात करता है?
क) द:ुिी िीिन की ख) भािी िीिन की ग) अनुभि की घ) इनमेंसेकोई नहीं।
4) 'मनीवषयों' शब्ि का अथाहै-
क) पंडितों ख) मूखों ग) बुविहीनों घ) र्ुिाओं
5) 'पररश्रम' शब्ि का अथाहै-
क) मेहनत ख) आराम ग) आिस्र् घ) विश्राम
6) उपरोक्त गदर्ांश का शीषाक है-
क) कमाहीन िीिन ख) सफि िीिन ग) मनुष्र् िीिन घ) िीिन मेंकमाका महत्ि
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sorry bro did not understand language ❤️
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