मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बांट देती हैं|
प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका
दर्जा निश्चित करती हैं |वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे
खोल देती हैं, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है, कि
हम जरा नीचे झुक कर समाज की निचली श्रेणियों की
अनुभूति को समझना चाहते हैं |उस समय यह पोशाक है
बंधन और अड़चन बन जाती है, जैसे वायु की लहरें कटी हुई
पतंग को सहरसा भूमि पर नहीं गिर जाने देती उसी तरह
खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें जोक रखने से रोके
रहती है|
1. मनुष्य की पोशाके का क्या कार्य करती हैं| *
उनको प्रतिष्ठित बनाती हैं|
उनको विभिन्न श्रेणियों में बांट देती हैं|
भेदभाव को कम करती हैं |
भाईचारे को बढ़ाती हैं|
2. पोशाक हमारे लिए बंधन कब बन जाती है ? *
जब हम अपने से निकली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं |
जब हम दूसरों से आगे बढ़ना चाहते हैं |
जब हम किसी समारोह में जाते हैं |
जब हम विद्यालय में पढ़ने जाते हैं|
3 हमारे बंद दरवाजों को कौन खोलता है? *
i . दरबान
हमारी आवश्यकता
हमारी पोशाक
हमारी आर्थिक स्थिति
4.बंधन शब्द का विलोम है | *
स्वतंत्र
मुक्ति
बंधना
गाँठ
5 निम्न में से कौन सा शब्द वायु का पर्यायवाची नहीं है *
पवन
समीर
पावन
हवा
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Explanation:
1.उनको विभिन्न श्रेणियों में बांट देती हैं|
2.जब हम अपने से निकली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं |
3.हमारी पोशाक
4.मुक्ति
5.पावन
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