मनुष्य का सत्कर्तव्य'
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प्रकृति में प्रत्येक प्राणी चाहे वह जड़ हों या चेतन अपने -अपने कर्म में रतः (लगा हुआ) हैं मनुष्य जो इस प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ रचना है, अपने सत्कर्तव्यों को पहचान कर उसी के अनुरूप आचरण करें ।
Explanation:
अर्थ – इस संसार में जितने भी जड़ - चेतन प्राणी है वे सब अपने अपने कर्म (कार्य) में लगे हैं।
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