Hindi, asked by pandeykerina, 4 days ago

मनुष्य के शरीर में आँसू भी गड़हुए खजाने के माफ़िक हैं। जैसे कभी कोई नाजुक वक्त आ पड़ने पर संचित पूँजी हो कामदेती है, उसी तरह हर्ष. शोक भय. प्रेम इत्यादि भावों को प्रकट करने में जब सब इंद्रियाँ शिथिल होकर हार मान बैठती. आँसू ही उन भावों को प्रकट करने में सहायक होता चिरकाल के वियोग के उपरांत जब किसी दिली दोस्त से भेंट होती है..तो इस समय हर्ष और आनंद के उफान में अंग-अंग ढलि पड़ जाते हैं, कंठ सँध जाता है, जिहवा इतनी शिथिल पड़ जाती है कि उसके मिलने की खुशी को प्रकट करने के लिए एक-एक शब्द मानो बोझ-सा मालूम पड़ता है। इससे पहले कि शब्दों से अपना असीम आनंद प्रकट किया जाए, सहसा आँखों में आँसू की नदी उमड़ पड़ती है और नेत्र के पवित्र जल. से वह अपने प्राण-प्रिय को नहलाता हुआ उसकी ओर बाँहें फैला देता है। 304 प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए। ​

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Answered by divyataneja11
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304 प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।

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