Hindi, asked by Angelicutie05, 5 months ago

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?.​

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Answered by s1364014395
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Answer:

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं यह बात कबीर की निम्नलिखित साखी से स्पष्ट होती है - आवत गारी एक है , उलटत होइ अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए , वही एक की एक।। इस साखी में कवि ने लोगों को सामाजिक मानदंडों से अवगत करवा कर उन्हें सचेत करने का प्रयत्न किया है।

Answered by SweetCandy10
58

Answer:

 \huge \bold \red{answer}

जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।

या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।

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