Hindi, asked by narenderpawar2019, 5 months ago

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना देने वाले दोष होते हैं।
यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

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Answers

Answered by rashmirawat80090
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Answer:

मनुष्य स्वयं अपने व्यवहार से किसी का भी मन मोह सकता है अथवा अपने व्यवहार से ही शत्रु बना सकता है। नीचे दिए गए दोहे से कबीर दास जी ने इसकी पुष्टि की है-

”जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।

या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय||”

Answered by nehapawar1173
1

Answer:

मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं यह बात कबीर की निम्नलिखित साखी से स्पष्ट होती है - आवत गारी एक है , उलटत होइ अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए , वही एक की एक।। इस साखी में कवि ने लोगों को सामाजिक मानदंडों से अवगत करवा कर उन्हें सचेत करने का प्रयत्न किया है।

Explanation:

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