मनुष्य के व्यवहार मे ही दूसरी को विरोधी बना लेने वाले दोष हैं । यह किस दोहे से वयस्क होता है?
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दोहा
जग में बैरी कोई नहीं , जो मन शीतल होय |
यह आपा तो डाल दे , दया करे सब कोए ||
अर्थ
मनुष्य के व्यवहार मे ही दूसरी को विरोधी बना लेने वाले दोष हैं ।
बैर तो वह ही रखते हैं जो स्वभाव से हिंसक होते हैं और सबसे लड़ते हैं।
बैरी का अर्थ है-- गुस्सा करने वाला ,मन में द्वेष रखने वाला।
शीतल का अर्थ है--शांत स्वभाव वाला
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