मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है
मनुष्य, वह, सूक्ष्म, चाहता है ka pad parichay likhiye.
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manushya-jativacahk sangya,pulling,ek vachan
vah-purushvachak sarvanam,ekvachan,pulling,kal-bhavishyat kal
chahta hai-sakarmak kriya,ekvachan,bhavishyat kal
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मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है|
मनुष्य -> जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, रहता और चाहता है क्रिया का कर्ता |
वह -> पुरुषवाचक सर्वनाम, प्रथम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग|
चाहता है -> सकर्मक क्रिया, एकवचन, वर्तमान काल|
किसी भी पद का व्याकरण के नियमों के अनुसार परिचय देना पद परिचय कहलाता है | पद-परिचय को शब्द बोध या शब्द निरुक्ति भी कहते हैं |
शब्द और पद में अन्तर
जब संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के साथ विभक्तियाँ लगे और धातुओं के साथ क्रिया प्रत्यय लगें तो उन्हें पद कहा जाता है |
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