Hindi, asked by komalc3886, 1 month ago

मन ष्य की ववशषे ता उसके चररत्र म़ें है I चररत्र के कारण ही एक मन ष्य दसरे से अधिक आदरणीय ू समझा जाता है। मन ष्य का आदर उसके पद, िन व ववचार के कारण होता है । परन्त ये सब एक प्रकार के बाहरी हैं, स्थायी नहीुं । िन का आदर वही करेर्ा, जजसको िन से क छ िाभ उठाने की इच्छा हो । ववद्या का मान सज्जन अवश्य करते हैं। वह भी जब ववद्यावान ववनय एवुं चररत्र से य क्त हो । ववद्या बि तथा पद होते ह ए भी रावण अपने राक्षसी कमग के कारण ननदनीय ुं था । रावण ववद्यावान होते ह ए भी वुंदनीय नहीुं बन पाया ।​

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Answered by priyanshusharma1131
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Answer:

कथा नायक की रूचिखेल कूद, कँकरियाँ उछालने , गप्पबाजी करने, कागज़ की तितलियाँ बनाने, उड़ाने, उछलकूद करने,चार दीवारी

पर चढ़कर नीचे कूदने, फाटक पर सवार होकर उसे मोटर कार बना कर मस्ती करने में थी क्योंकि उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था ।

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