मनुष्य कविता तिवारी
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शब्दों की सत्ता का सबसे बेहतर इस्तेमाल कवि करते हैं। वे भाषा कि जड़ता तो तोड़ते ही हैं, उसे सृजनात्मक भी बनाते हैं। उक्त बातें साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने बुधवार को साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कहीं।
तिवारी ने कहा कि कविता मनुष्य की आदिम आवाज है। व्यक्ति जब किसी उद्गार को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाता है, तब वह कविता का सहारा लेता है। उन्होंने इस अवसर पर 'दाना मांझी' शीर्षक से अपनी कविता भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रख्यात संस्कृत विद्वान सत्यव्रत शास्त्री ने किया। उन्होंने कहा कि कविता रस की सृष्टि है और उसमें लोक कल्याण की भावना के साथ-साथ मानव जाति के उत्थान की आकांक्षा भी निहित होती है। उन्होंने कहा कि कविता कहने का ढंग ही सभी कवियों को एक मंच पर खड़ा करता है। इसमें भाषा की कोई सीमा नहीं होती है। अकादमी के सचिव डॉ. के.श्रीनिवासराव ने कहा कि कविता हमारी विविधता को प्रतिबिंबित करती है और इसका यही गुण उसको सबसे अलग और महत्वपूर्ण बनाता है। यह काव्य समारोह भारतीय भाषाओं की विविधता को सबके सामने प्रस्तुत करने का एक सार्थक मंच है। उन्होंने देशभर से आए 24 भारतीय भाषाओं के कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि एक मंच से इतनी विविध भाषाओं की कविताओं को सुनना दिल्ली के श्रोताओं को बिलकुल अलग अनुभव देगा। काव्य पाठ का आरंभ असमिया भाषा की कवियत्री निवेदिता फूकन के काव्य पाठ से हुआ। इसके बाद विनोद जोशी (गुजराती), लीलाधर जगूड़ी (हिंदी), गंगेश गुंजन (मैथिली), वसंत अबाजी ढहाके (मराठी), एन. गोपी (तेलुगु), हनीफ तरीन (उर्दू) ने अपनी-अपनी भाषाओं में काव्य पाठ किया और उनके हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत किए।