मनुष्य
मे कौनसी प्रकृति आज चिता का विषय बन गई है ?
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चिंता संज्ञानात्मक, शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषतावाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है।[2] यह घटक एक अप्रिय भाव बनाने के लिए जुड़ते हैं जो की आम तौर पर बेचैनी, आशंका, डर और क्लेश से सम्बंधित हैं। चिंता एक सामान्यकृत मनोदशा है जो कि प्रायः न पहचाने जाने योग्य किसी उपन द्वारा उत्पन्न हो सकती है। देखा जाए तो, यह भय से कुछ अलग है, जो कि किसी ज्ञात खतरे के कारण उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त भय, भागने और परिहार, के विशिष्ट व्यवहारों से संबंधित है, जबकि चिंता अनुभव किये गये अनियंत्रित या अपरिहार्य खतरों का परिणाम है।[3]
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