Social Sciences, asked by vipinchaudhary717162, 3 months ago

मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है​

Answers

Answered by Anonymous
4

Answer:

मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरण इसलिए कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकता है। चूंकि हमारे शरीर में उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके लिए उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन जरूरी होता है। अतः शरीर: का तापक्रम बनाए रखने तथा निरन्तर ऊर्जा की पूर्ति के लिए यह परिसंचरण लाभदायक होता है।

Explanation:

मानव और पक्षियों में रुधिर प्रत्येक चक्र में हृदय से दो बार गुज़रता है। अर्थात् रुधिर शरीर में एक बार पहुँचने के लिए मानव हृदय से दो बार गुज़रता है अत: इसे द्विपरिवहन कहते हैं। इसके दो भाग है-

(i) सिस्टेमिक परिवहन तथा

(ii) पलमोनरी परिवहन

सिस्टेपिक परिवहन-यह बाएं अलिंद से बाएं निलय में ऑक्सीजनित रुधिर पहुँचाता है, जहाँ से यह शरीर के विभिन्न भागों में पम्प किया जाता है। विआक्साजनित रुधर शरीर के विभिन्न भागों से शिरा द्वारा इकट्ठा करके महाशिरा में डाला जाता है और अंत: में अह रुषर दाएं अलिंद में पहुँचता है। दाएँ अलिंद से दाएँ निलय में जाता है।

पलमोनरी परिवहन-विऑक्सीजनित रुाधर दाए निलय से अक्सीजनित होने के लिए फेफड़़ों में भेजा जाता ऑक्सीजनित रुधिर फिर से मानव हदय के माएं अलंद में आता है, बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में, बाएँ निलय से महाधमनी में और फिर सिस्टोमिक परिवहन द्वारा शरीर में।

हाई रकूल विज्ञान द्विपरिवहन की आवश्यकता मानव हृदय का दायं तथा बायाँ भाग ऑक्सीजनित व विऑक्सीजनित रुधिर मिलने नहीं देते हैं। ऑक्सीजनित व विऑक्सीजनित रुचिर के अलग-अलग रहने से शरीर में ऑक्सीजन प्रभावी तरीके से पहुँचती है। मानव के लिए यह बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर के तापमान को निर करने के लिए निरन्तर ऊर्जा देती है।

Similar questions