मनुष्य नाशवान प्राणी है | वह जन्म लेने के बाद मरता अवश्य है | अन्य लोगों की
भााँनत महापुरुष भी नाशवान है | वे भी समय आने पर अपना शरीर छोड़ देते हैं, पर वे
मरकर भी अमर हो जाते हैं | वे अपने पीछे ककए या छोड़े गए कायव के कारण अन्य लोगों
दवारा याद ककए जाते हैं | ऐसे कायव के पीछे जो उच्च आदशव होते हैं, वे स्थायी होते हैं और
बदली पररस्स्थनतयों में नए वातावरण के अनुसार अपने को ढाल लेते हैं| संसार ने पपछली
पच्चीस शतास्ब्दयों से भी अधिक में स्जतने भी महापुरुषों को जन्म ददया है, उनमें गांिी जी
को यदद आज भी नहीं माना जाता, तो भी भपवष्य में उन्हें सबसे बड़ा माना जाएगा क्योंकक
उन्होंने अपने जीवन की गनतपवधियों को सदा एक और अपवभाज्य माना | स्जन्हें हम
सामास्जक, आधथवक और नैनतक के नाम से पुकारते हैं, वे वास्तव में उसी िारा की उपिाराएाँ
हैं, उसी भवन के अलग-अलग पहलूहैं| गांिी जी ने मानव जीवन के इस नव कथानक की
व्याख्या न ककसी ह्रदय को स्पशव करने वाले वीरकाव्य की भााँनत की और न ककसी दाशवननक
महाकाव्य की भााँनत ही | उन्होंने सदा साध्य को पूरा करने के ललए अपनाए जाने वाले
सािनों का भी ध्यान रखा | साध्य के साथ–साथ उसकी पूनतव के ललए अपनाए गए सािन
भी उपयुक्त होने चादहए |
(क) सामान्य मनुष्य और महापुरुष में क्या अतं र है?
(ख) गांिी जी को भपवष्य में सबसे बड़ा क्यों माना जाएगा ?
(ग) साध्य और सािन के पवषय में गांिी जी के क्या पवचार थे ?
Answers
Answer:
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Explanation:
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पूरा प्रश्न : मनुष्य नाशवान् प्राणी है। वह जन्म लेने के बाद मरता अवश्य है। अन्य लोगों की भाँति महापुरुष भी नाशवान होते हैं। वे भी समय आने पर अपना शरीर छोड़ देते हैं, पर वे मरकर भी अमर हो जाते हैं। वे अपने पीछे छोड़े गए कार्य के कारण अन्य लोगों के द्वारा याद किए जाते हैं। उनके ये कार्य चिरस्थायी होते हैं और समय के साथ-साथ परिणाम और बल में बढ़ते हैं। ऐसे कार्य के पीछे जो उच्च आदर्श होते हैं, वे स्थायी होते हैं और बदली परिस्थितियों में नए वातावरण के अनुसार अपने को ढाल लेते हैं। संसार में पिछली पच्चीस शताब्दियों से भी अधिक में जितने भी महपुरुषों को जन्म दिया है, उसमें गाँधीजी को यदि बड़ा माना जाता है तो भविष्य में भी उन्हें सबसे बड़ा मना जाएगा। क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की गतिविधियों को विभिन्न भागों में नहीं बाँटा, बल्कि जीवनधारा को सदा एक और अविभाज्य माना। जिन्हें हम सामाजिक, आर्थिक और नैतिक के नाम से पुकारते हैं, वे वास्तव में उसी धारा की उपधाराएँ हैं, उसी भवन के अलग-अलग पहलू है। उन्होंने सदा साध्य को ही महत्व नहीं दिया बल्कि उस साध्य को पूरा करने के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का भी ध्यान रखा। साध्य के साथ साथ उसकी पूर्ति के लिए अपनाए गए साधन भी उपयुक्त होने चाहिए।
गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) सामान्य मनुष्य और महापुरुष में क्या अतंर है?
(ख) गांधी जी को भविष्य में सबसे बड़ा क्यों माना जाएगा ?
(ग) साध्य और साधन के विषय में गांधी जी के क्या विचार थे ?
उत्तर : (क) सामान्य मनुष्य और महापुरुष दोनों ही समय आने पर अपना शरीर त्याग देते हैं l शरीर त्यागने के बाद सामान्य मनुष्य को सभी भूल जाते हैं लेकिन एक महापुरुष को मरने के बाद भी याद किया जाता है l वह अमर कहलाता है l
(ख) गांधीजी को भविष्य में सबसे बड़ा माना जाएगा क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की गतिविधियों को विभिन्न भागों में नहीं बाँटा, बल्कि जीवनधारा को सदा एक और अविभाज्य माना I उन्होंने सदा जीवन को सादा ही जिया l
(ग) गांधीजी के अनुसार साध्य और साधन दोनों के ही अपने महत्व हैं l उन्होंने सदा साध्य को ही महत्व नहीं दिया बल्कि उस साध्य को पूरा करने के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का भी ध्यान रखा। साध्य के साथ साथ उसकी पूर्ति के लिए अपनाए गए साधन भी उपयुक्त होने चाहिए।
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