मनुष्य और जूते के बीच संवाद
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मनुष्य व जूते के बीच संवाद निम्न प्रकार से लिखा गया है।
- मनुष्य : जूते भाई , कैसे हो ? थके थके से क्यों हो आज ?
- जूता : हां बहुत थक गया हूं। कल मुझे तुम्हारे भाई ने पहना था , बहुत दूर तक घुमाया मुझे ।
- मनुष्य : हां कल भाई को नौकरी के लिए इंटरव्यू कर जाना था, उसके जूते फट गए है तो जब तक नए जूते लाए , मैंने कहा कि मेरे पहन लिया करो।
- जूता : हां मुझे बहुत चमकाया , फिर है मुझे पहना। जिस जगह इंटरव्यू था , बहुत बड़ी कंपनी थी। तुम्हारे भाई का इंटरव्यू अच्छा गया , उसे नौकरी अवश्य मिलेगी ।
- मनुष्य : तुम कितने अच्छे हो , मेरे तो इतने काम आते ही हो, मेरे भाई के भी काम आते हो। मै ऑफिस जाता हूं तो तुमसे मेरी शान बढ़ती है, कपड़ों व जूतों का बहुत महत्व होता है , अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- जूता : मुझे भी तुम्हारे साथ जाना अच्छा लगता है , मेरा समय भी व्यतीत होता है नहीं तो घर पड़े पड़े मै परेशान तो हो जाऊंगा, आलसी भी हो जाऊंगा । तुम्हारा बहुत धन्यवाद।
- मनुष्य : धन्यवाद तो मुझे तुम्हारा करना चाहिए , तुम मेरे पैरों को पथरीले रास्तों से बचाते हो, बारिश की कीचड़ से बचाते हो। तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद ।
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