मनुष्य और प्रकृति के महत्व को नहीं समझता प्रकृति के महत्व को समझाते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए
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प्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है।
Answer:
परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
25 अगस्त 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श।
कल शाम आपका पत्र मिला। आप सभी के स्वस्थ होने की बात जानकर बड़ी खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ तथा समय-समय पर विद्यालय द्वारा आयोजित पाठ्येत्तर क्रियाओं में भाग ले रहा हूँ। पिता जी!
अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में हमारे विद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम मनाया गया। इसमें अन्य छात्रों के अलावा मैंने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रधानाचार्य जी ने उद्यान अधिकारी को पत्र लिखकर 500 पौधे मँगवा लिए थे। इनमें अधिकांश छाया देने वाले पौधे हैं। हमने खेल शिक्षक के निर्देशानुसार जगह-जगह गड्ढे खोदे। उन गड्ढों में खाद मिलाई । नौ बजते-बजते इस कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि उप शिक्षा निदेशक भी आ गए। उन्होंने नीम का एक पौधा लगाकर शुभारंभ किया। इसके बाद प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने एक-एक पौधा लगाया। मैंने भी दो गड्ढों में नीम और पीपल के पेड़ लगाए। उनमें पानी देकर तार की जालियाँ लगाईं। मैंने इन पौधों की रक्षा का वचन भी लिया। हमारे इस पुनीत काम से बादल भी प्रसन्न हुए और उन्होंने पौधों को स्वयं पानी देना शुरू कर दिया। इन पौधों के लगने से विद्यालय का वातावरण बदला-सा नज़र आ रहा था।
पूज्या माता जी को चरण स्पर्श और काव्या को स्नेह।
आपके पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
आपका प्रिय पुत्र
क्षितिज
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