Hindi, asked by bargirnida79, 18 hours ago

मनुष्य प्राणी स्वार्थी है यह इस पाठ के आधार पर सिद्ध करें

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Answered by HarshitRaj12
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सामाजिक विषय पढ़ते समय जो सबसे पहला पाठ पढ़ाया गया था वो था “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है” | आज इसी पाठ का थोड़ा विश्लेषण करने की कोशिश....“मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है” इस वाक्य मे दो महत्वपूर्ण शब्द हैं पहला मनुष्य और दूसरा समाज, मनुष्य और समाज दोनों एक दूसरे के पूरक हैं व्यक्ति है तो समाज है और अगर समाज है तो व्यक्ति है | आदि काल मे मानव जब जंगलों मे रहता रहा होगा और उसने जानवरों आदि से सुरक्षा के लिए समूह में रहना शुरू किया और वहीं से समाज, समुदाय और गाँव का विकास होना आरंभ हुआ होगा | समूह मे रहना व्यक्ति के लिए प्राथमिक था और व्यक्ति की अपनी आवश्यकताए द्वितीयक, व्यक्ति समाज केन्द्रित था, समाज मे एक किसी व्यक्ति की समस्या पूरे समाज की समस्या थी | समूह मे एक साथ रहते हुए व्यक्ति एक दूसरे की मदद करते हुए विकास की राह पर चला और उनकी सभी आवश्यकतायेँ समाज से ही पूरी हो रही थी | लेकिन ये तो सैकड़ों साल पुरानी बात थी | तब तो बात समझ आती थी की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | लेकिन आज जैसे जैसे व्यक्ति विकास की तरफ तेज़ी से बढ़ा, व्यक्ति की जरूरतें बढ़ीं वह समाज से दूर हुआ | विकास के इस दौड़ मे व्यक्ति आत्मकेंद्रित हो गया और समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारियों को भूलता गया, वह उस समाज को भूल गया जहां सभी एक दूसरे की मदद किया करते थे, वह उस समाज को भूल गया जहां से वह समाज के विकास के लिए दूर हुआ था | अब समाज उसके लिए द्वितीयक हो गया और वह स्वयं प्राथमिक |

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