मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं होता इस पर एक कहानी लिखिए
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कथावाचक ने आगे कहा कि वर्तमान में मनुष्य स्वार्थ के वशीभूत अच्छाईयों को त्यागता जा रहा है और बुराईयों के मार्ग पर पतन का रास्ता प्रशस्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य स्वार्थ को छोड़कर परमार्थ के लिए कार्य करे तो निश्चित ही उक्त मानव का जीवन सफल होगा
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