मनुष्य द्वारा विभिन्न आविष्कार करने का मूल कारण क्या था ?
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आविष्कार किसी नयी जानकारी के पाये जाने या पता करने की क्रिया का नाम है। इस क्रिया में कुछ ऐसी जानकारी प्राप्त होती है जिसको रचनात्मक अन्तर्दृष्टि देकर उपयोगी बना दिया जाता है।
नये आविष्कार विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा प्राप्त किये जाते हैं। इनको पहले से विद्यमान ज्ञान में समाहित कर लिया जाता है। प्रश्न करना जितना मानवीय विचारणा एवं परस्पर वैचारिक आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम है, आविष्कार के लिये भी इसकी उतनी ही भूमिका है। आविष्कार के मूल में प्रश्न ही है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के तीन मुख्य उद्देश्य गिनाये जाते हैं - वर्णन (description), व्याख्या (explaination) एवं खोजबीन (exploration)। आविष्कार - अर्थात् ऐसी चीजे जो पहले से यहां उपलब्ध नहीं है या थी पर उसका बाद में खोज की जाती है\गई जैसे - मोबाईल,संगणक, साईकिल ; ये इनका खोज नहीं किया गया इनका अविष्कार किया गया ये बनने से पूर्व धरती पर मौजूद नहीं थें।
स्पष्ट है कि मस्तिष्क की वृद्धि पर ही मनुष्य के संपूर्ण विकास का बल रहा है। यह वृद्धि अब भी हो रही है या नहीं, यह कहना कठिन है, परंतु जितना कुछ विकास हो चुका है उसके आधार पर मानव और लुप्त सरीसृपों (डाइनोसॉरिया, इक्थियोसॉरिया आदि) के विकास से तुलनात्मक निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। लुप्त सरीसृपों का शरीर भीमकाय (भार 40-60 टन तक) हो गया था। फलस्वरूप बृहत् शरीर की आवश्यकताओं को अपेक्षाकृत छोटा मस्तिष्क पूरा न कर सका और ये जंतु क्रमश: लुप्त होते गए। इसके प्रतिकूल मनुष्य में शरीर के अनुपात में अपेक्षाकृत मस्तिष्क कहीं बड़ा हो गया है, अतएव मनुष्य के मस्तिष्क की अधिकांश शक्ति शारीरिक आवश्यकताओं (भोजन, सुरक्षा आदि) को पूरा कर लेने के बाद भी शेष रह जाती है। यह शक्ति मनुष्य अपने सुख साधनों को एकत्रित करने तथा विज्ञान और तकनीकी उपलब्धियों को प्राप्त करने में लगा रहा है। इनमें विनाश के भी बीज निहित हैं। मनुष्य का भविष्य, अर्थात वह रहेगा अथवा सरीसृपियों की भाँति पृथ्वी रूपी रंगमंच पर अपना अभिनय समाप्त करके सदा के लिये लुप्त हो जाएगा, यह उसके विनाशकारी औजारों की शक्ति और उनके उपयोग पर निर्भर करता है। यदि उसका लोप हुआ, तो वह इस निष्कर्ष की पूर्ति करेगा कि प्रकृति में किसी जंतु के शरीर और मस्तिष्क विकास में समन्वय होना आवश्यक है, ऐसा न होने पर उस जंतु का भविष्य में अस्तित्व सदा अनिश्चित ही रहेगा।
Explanation:
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