'मनुष्यो दवारा पहुंचाए जाने वाले कष्ट' विषय पर पाँच अलग-अलग वृक्षों
का संवाद लिखिए
Answers
Answer:
नीम का वृक्ष- अरे, मेरे वृक्ष भाइयों तुम सब कैसे हो?
चंदन का वृक्ष- ठीक हूं भाई ! जैसे तैसे काट रहा हूं ,अपनी जिंदगी।
साल का वृक्ष- मैं कुछ ठीक नहीं।
शीशम का वृक्ष- मेरी भी हालत कुछ ठीक नहीं है!
नीम का वृक्ष- क्यों मेरे साथियों, तुम्हें क्या हुआ ऐसे दुखी क्यों लग रहे हो?
बरगद का वृक्ष- दुखी ना हो तो क्या करें? यह मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए हमें हानि पहुंचा रहे हैं।
चंदन का वृक्ष- हां भाई बरगद ठीक ही कह रहा है, मेरी लकड़ियां अद्भुत सुगंध देती हैं और वह बहुत गुणकारी भी हैं इसीलिए वह मेरी लकड़ियों को काट कर बेचते हैं।
साल एवं शीशम का वृक्ष- हमारी लकड़ियों को भी वे लोग केवल फर्नीचर बनाने के लिए काटते हैं ।
नीम का वृक्ष- तुम सही बोल रहे हो, वे हमें काटते हैं और उन्होंने हमारे वातावरण में इतना प्रदूषण कर दिया है जिससे हमें सांस लेने में भी तकलीफ होती है।
बरगद का पेड़- मैं बूढ़ा हो चला हूं, पता नहीं ये मनुष्य कब सुधरेंगे।
mark me as brainliest answer
Answer:
I hope I answer in correct
Explanation:
चंदन के वृक्ष:: भाई आप कैसे हो सब मैं चंदन का वृक्ष जो महंगी महंगी लकड़ियों का यूज़ होता है और मेरे साथ फर्नीचर बनाए जाते हैं
नींबू के वृक्ष:: भाई चंदन वृक्ष मैं नीम जो आप सभी को अन्य प्रकार के नींबू को मैंने छोड़ दिया और मैं खट्टा करती हूं मेरे रस पीते ही आप सब तंदुरुस्त हो जाते हो और मेरे इतने फायदे हैं जितने बहुत नुकसान भी है
चंदन के वृक्ष:: भाई मैं चंदन का पेड़ होकर भी अपने महंगी नहीं फर्नीचर जवाब देते हो उसको बाहर फेंकते रहते हैं और हमारी कोई वैल्यू नहीं होती और हम जब हम को चमकाते हैं पास 6 साल घर पर रहते हैं कि हम को फेंक देते हैं इसी तरह चंदन की लकड़ी का बहुत कम यूज होता है
नींबूका वृक्ष:: मैं आपको बता दूं कि नींबू के रस में इतना ही स्वाद है जितना खट्टा हो और साथ में मीठा हो इसी तरह में कभी न पीला कलर हो जाता है या कभी ग्रीन कलर कार्ड तभी इतना रस निकलता है कि सब मेरे फायदे होते हैं तभी तो मैं नींबू हूं