Hindi, asked by samriddhi824, 7 months ago

मनुष्यता कविता के आधार पर किन्ही 3 मानवीय गुणों की चर्चा कीजिये​

Answers

Answered by kumarbadshah987
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Answer:

मनुष्यता कविता में मनुष्यता के निम्न गुणों एवं लक्षणों की बात कवि ने की है| मनुष्य में प्रेम की भावना होनी चाहिए| प्रेम की भावना होने से मनुष्य समाज एवं अपने सगे संबंधियों से बेहतर संबंध कायम कर पाता है| मनुष्य के भीतर त्याग एवं बलिदान की भावना का होना भी आवश्यक है| अगर मनुष्य में त्याग एवं बलिदान की भावना नहीं होगी तो वह परेशानी में फंसे कंजोर लोगों की मदद नहीं कर पायेगा| कविता में मनुष्यता के अन्य लक्षणों जैसे परोपकार, उदारता का भाव आदि के बारे में भी बताया है|

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Answered by aliyasubeer
3

Answer:

मानव जीवन एक विशिष्ट जीवन है क्योंकि मनुष्य के मन में प्रेम, त्याग, बलिदान, परोपकार का भाव होता है।

Explanation:

  • मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को यह बताने का प्रयास किया है कि सभी मनुष्य आपस में ई ई हैं।
  • इस सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सबको जन्म देने वाला ईश्वर एक है। पुराणों में भी इस बात के प्रमाण हैं कि सृष्टि का रचनाकार वही एक है।
  • वह सारे जगत का अजन्मा पिता है।
  • फिर मनुष्य-मनुष्य में थोड़ा-बहुत जो भेद है। वह उसके अपने कर्मों के कारण है परंतु एक ही ईश्वर या आत्मा का अंश उनमें समाए होने के कारण सभी एक हैं।
  • इतना जानने के बाद भी कोई मनुष्य दूसरे मनुष्य की अर्थात् अपने भाई की मदद न करे और उसकी व्यथा दूर न करे तो वह सबसे बड़े अनर्थ हैं। इसका कारण यह है कि ऐसा न करके मनुष्य अपनी मनुष्यता को कलंकित करता है।

अपने से पहले दूसरों की चिंता करते हुए अपनी शक्ति, अपनी बुधि और अपनी वैचारिक शक्ति का सदुपयोग करना मानव का कर्तव्य है

  • प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि मानवीय एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा का संदेश देना चाहता है। वह चाहता है कि मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करे।
  • वह दीन-दुखियों, जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहे। वह पौराणिक कथाओं के माध्यम से विभिन्न महापुरुषों जैसे दधीचि, कर्ण, रंतिदेव के अतुलनीय त्याग से प्रेरणा ले।
  • ऐसे सत्कर्म करे जिससे मृत्यु उपरांत भी लोग उसे याद करें। उसका यश रूपी शरीर सदैव जीवित रहे।
  • निःस्वार्थ भाव से जीवन जीना, दूसरों के काम आना व स्वयं ऊँचा उठने के साथ-साथ दूसरों को भी ऊँचा उठाना ही मनुष्यता’ का वास्तविक अर्थ है।
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