Hindi, asked by snehalpv11, 2 months ago

‘ मनुष्यता’ कविता का सारांश अपने शब्दों मे लिखिए।​

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Answered by shashi1979bala
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कविता का प्रतिपाद्य है कि मनुष्य को मनुष्यता को अपनाते हुए जीना चाहिए। मनुष्यता का तात्पर्य है, अपने हित के साथ-साथ दूसरों के हित के बारे में भी सोचना। जो मनुष्य केवल अपने लिए जीता है वह पशु के समान है। खाना-पीना और सोना यह केवल पशु का कार्य होता है, जो केवल अपने लिए जीता है। भगवान ने मनुष्य को बुद्धि और विवेक भी दिया है और संवेदनशीलता भी दी है। भगवान ने मनुष्य को अनेक ऐसे गुण दिए हैं, जो उसे पशु से भिन्न करते हैं।

कवि का कहना है कि मनुष्य को मनुष्यता से जीते हुए सदैव परोपकार के कार्य करना चाहिए। दूसरों के हित के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। जो मनुष्य परमार्थ के लिए जीते हैं, उन्हें उनकी मृत्यु के बाद भी सारा संसार सदियों तक याद रखता है। हमारे पास जो भी धन-संपत्ति है, हमें उसका अभिमान कभी नहीं करना चाहिए। भगवान ने हमें जो गुण दियें है, उनका सदुपयोग करते हुए सदैव सब लोगों के साथ मिलकर चलना चाहिए।

इस संसार में दधीचि, शिवि, रंतिदेव, कर्ण, हरिश्चंद्र के रूप ऐसे अनेक महान पुरुष हुए हैं, जिन्होंने में परमार्थ की खातिर अपने प्राणों तक का बलिदान करने में कोई संकोच नही किया। हमें भी ऐसे ही महापुरुषों से सीख लेकर मानवता को अपनाना चाहिए जो सबसे पड़ा धर्म है।

सारे मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान है और किसी में भी भेदभाव ना करते हुए सदैव सबके साथ प्रेम एवं सद्भाव से रहना चाहिए. यही मनुष्यता कविता का मुख्य संदेश है।

Hope it helps


snehalpv11: thx
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